(डॉ. अमित सिंह, कार्डियोलॉजिस्ट, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल, मुंबई )
ECG (Electrocardiogram) टेस्ट दिल की धड़कनों और विद्युत गतिविधियों की जांच के लिए किया जाता है। यह हृदय की कार्यप्रणाली को समझने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। जब भी किसी व्यक्ति को सीने में दर्द, धड़कनों में गड़बड़ी या सांस लेने में कठिनाई होती है, तो डॉक्टर सबसे पहले ECG कराने की सलाह देते हैं।
डॉ. अमित सिंह, जो कि कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल, मुंबई में कार्डियोलॉजिस्ट हैं, बताते हैं कि “ECG टेस्ट हार्ट अटैक, धड़कन की अनियमितता (Arrhythmia) और कई अन्य हृदय रोगों का प्रारंभिक संकेत देता है, जिससे समय रहते इलाज शुरू किया जा सकता है।”
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि ECG टेस्ट क्या है, यह कैसे किया जाता है, इससे क्या पता चलता है, और किन स्थितियों में इसकी जरूरत होती है।
ECG टेस्ट क्या है?
ECG (Electrocardiogram) एक मेडिकल टेस्ट है, जो हृदय की इलेक्ट्रिकल गतिविधि को रिकॉर्ड करता है। यह टेस्ट हृदय की धड़कनों और मांसपेशियों की स्थिति को मापता है, जिससे डॉक्टर यह जान सकते हैं कि हृदय सामान्य रूप से काम कर रहा है या नहीं।
ECG में हृदय की विद्युत तरंगों (Electrical Waves) को ग्राफ के रूप में दर्शाया जाता है, जिससे डॉक्टर को हृदय की धड़कन की अनियमितताओं का पता चलता है।
ECG का पूरा नाम क्या है?
ECG का पूरा नाम Electrocardiogram है। इसे कुछ जगहों पर EKG (Elektrokardiogram – जर्मन भाषा) भी कहा जाता है।
ECG टेस्ट से क्या पता चलता है?
ECG टेस्ट से हृदय से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलती हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. दिल की धड़कनों की अनियमितता (Arrhythmia)
ECG से पता चलता है कि हृदय सामान्य रूप से धड़क रहा है या बहुत तेज़ (Tachycardia) या बहुत धीमा (Bradycardia) धड़क रहा है।
2. हार्ट अटैक का संकेत (Heart Attack Detection)
अगर किसी व्यक्ति को पहले कभी हार्ट अटैक हुआ हो या वह अभी हार्ट अटैक की स्थिति में हो, तो ECG के ज़रिए इसका पता लगाया जा सकता है।
3. हृदय की मांसपेशियों को नुकसान (Heart Muscle Damage)
ECG यह भी बताता है कि हृदय की मांसपेशियों को कोई क्षति पहुँची है या नहीं।
4. हृदय के वाल्व से जुड़ी समस्याएँ
कुछ मामलों में, ECG से हृदय के वाल्व की कार्यप्रणाली में किसी गड़बड़ी का पता चल सकता है।
5. इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन (Electrolyte Imbalance)
अगर शरीर में पोटैशियम, कैल्शियम या सोडियम की कमी या अधिकता है, तो ECG इसमें बदलाव दिखा सकता है।
ECG टेस्ट कैसे किया जाता है?
ECG टेस्ट करना बेहद आसान और दर्द रहित प्रक्रिया है। इसमें निम्नलिखित स्टेप्स होते हैं:
1. मरीज को आरामदायक स्थिति में लेटाया जाता है
- ECG टेस्ट के दौरान मरीज को एक बेड पर लेटा दिया जाता है।
- मरीज को पूरी तरह से शांत और रिलैक्स रहना होता है।
2. इलेक्ट्रोड (Electrodes) लगाए जाते हैं
- मरीज के छाती, हाथों और पैरों पर छोटे-छोटे इलेक्ट्रोड (Electrodes) लगाए जाते हैं।
- ये इलेक्ट्रोड दिल की विद्युत गतिविधि को रिकॉर्ड करते हैं।
3. मशीन हार्ट बीट रिकॉर्ड करती है
- ECG मशीन इन इलेक्ट्रोड के ज़रिए दिल की धड़कनों के संकेत रिकॉर्ड करती है और इसे ग्राफ के रूप में प्रदर्शित करती है।
- पूरी प्रक्रिया 5-10 मिनट में पूरी हो जाती है।
ECG के प्रकार
ECG टेस्ट के तीन मुख्य प्रकार होते हैं:
1. स्टैण्डर्ड ECG (Resting ECG)
- यह सबसे आम ECG टेस्ट है, जो आराम की स्थिति में किया जाता है।
- इसमें मरीज को सीधा लिटाया जाता है और ECG रिकॉर्ड किया जाता है।
2. होल्टर मॉनिटरिंग (Holter Monitoring)
- यह ECG का एडवांस वर्जन है, जिसमें मरीज को 24 से 48 घंटे तक ECG मॉनिटरिंग डिवाइस पहनना पड़ता है।
- यह उन मरीजों के लिए किया जाता है, जिनकी धड़कनों में अस्थायी अनियमितताएँ होती हैं।
3. स्ट्रेस ECG (Stress Test / Treadmill Test – TMT)
- इसमें मरीज को ट्रेडमिल या साइकिल पर चलाकर ECG रिकॉर्ड किया जाता है।
- यह टेस्ट तब किया जाता है जब डॉक्टर यह देखना चाहते हैं कि व्यायाम के दौरान दिल की धड़कनें कैसी होती हैं।
ECG टेस्ट की जरूरत कब होती है?
डॉ. अमित सिंह बताते हैं कि ECG टेस्ट कुछ खास परिस्थितियों में ज़रूरी हो जाता है, जैसे:
- सीने में दर्द (Chest Pain)
- अचानक तेज़ या धीमी धड़कन (Irregular Heartbeat)
- सांस लेने में कठिनाई (Shortness of Breath)
- थकान और चक्कर आना (Dizziness or Fatigue)
- ब्लड प्रेशर की समस्या (High or Low Blood Pressure)
- हार्ट अटैक के लक्षण
- हृदय रोगों का पारिवारिक इतिहास
ECG टेस्ट के फायदे
- यह त्वरित और आसान प्रक्रिया है।
- बिना दर्द के दिल की महत्वपूर्ण जानकारी देता है।
- हार्ट अटैक और स्ट्रोक की जोखिम पहचान में मदद करता है।
- अचानक हृदयाघात से बचाव में सहायक होता है।
ECG टेस्ट के नतीजे कैसे समझें?
ECG रिपोर्ट में गाढ़ी और हल्की लहरें (Waves) होती हैं, जिन्हें P, QRS और T वेव कहा जाता है।
- P Wave: हृदय की पहली इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी दर्शाती है।
- QRS Complex: हृदय के मुख्य पंपिंग क्रिया को दिखाता है।
- T Wave: हृदय के रिलैक्स होने की प्रक्रिया को दर्शाता है।
अगर इनमें किसी भी तरह की असामान्यता होती है, तो यह किसी हृदय रोग का संकेत हो सकता है।
ECG टेस्ट की सीमाएँ
- ECG केवल उस समय की जानकारी देता है जब टेस्ट किया जाता है, अगर समस्या रुक-रुक कर हो रही हो तो यह पकड़ में नहीं आ सकता।
- कई बार अलग-अलग डॉक्टर अलग-अलग व्याख्या कर सकते हैं, इसलिए किसी भी संदेह की स्थिति में एक्स्ट्रा टेस्ट कराए जाते हैं।
निष्कर्ष
ECG टेस्ट एक सरल, दर्द रहित और प्रभावी तरीका है, जिससे हृदय की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। अगर आपको सीने में दर्द, धड़कनों की अनियमितता, सांस फूलने जैसी समस्याएँ हो रही हैं, तो बिना देरी के ECG कराएँ।
डॉ. अमित सिंह कहते हैं, “ECG समय रहते हार्ट डिजीज को पकड़ने में मदद कर सकता है, इसलिए इसे नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए।”
स्वस्थ दिल, स्वस्थ जीवन!